"💝कबीर की काव्या💝"- part 2
Aspirants
December 31, 2017
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Part-2
रिया और मैं अलग अलग कॉलेज की स्टूडेंट थी। एक दिन में कॉलेज से वापस आयी तो रिया किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी, जैसे ही मैं कमरे में घुसी तो उसने कहा ," अरे ये मैंने पहले क्यों नही सोचा, समझो काम हो गया।" ये कहकर उसने फ़ोन रख दिया।
शाम को उसने मुझसे कहा- 'काव्या, तू जो इतना सब शायरी सब लिखती है अगर तुझे कभी मौका मिले तो क्या तू इसे प्रोफेशनली करना चाहेगी?"
"क्यो नही,बिल्कुल"-मैंने झट से कहा।
"तो समझ हो गया ये"- रिया ने कहा।
रिया ने बताया कि कबीर को एक म्यूजिकल प्ले करना है जिसके लिए उसे एक 'शब्दो का जादूगर ' यानी एक राइटर चाहिए और रिया के हिसाब से में उसके लिए एकदम सही हूँ।।
" यार तू पागल है क्या , मैं तो बस ऐसे ही लिखती हूँ ऐसे किसी प्ले के लिए ....कैसे लिख सकती हूं???? मैं कोई लेखक या कवि थोड़े न हूँ।" ये कहकर मैंने उसे मना कर दिया।
मुझे लगा ये बात यही पर खत्म हो गयी है। अगले दिन जब में वापस आयी तो दरवाजा खोलने में रिया ने बहुत वक़्त लगाया।
जैसे ही दरवाजा खुला, मैं जोर से चिल्लाई-" कहाँ , व्यस्त थी मैडम आ..........प।।
मेरा ये आप कोई और ही आप बन गया क्योंकि दरवाजा खोलने वाला था..........कबीर।।
"सॉरी , मुझे लगा रिया है"- मैंने कहा।
"कोई बात नही,हो जाता है" - कबीर ने कहा।
अंदर आयी तो देखा कि रिया की बॉयफ्रेंड अभय भी था वहां।
रिया किचन में थी , मैं सीधे रिया के पास गई और पूछा-"ये लोग यहां क्या कर रहे है??"
'अभय मुझसे मिलने आया है और कबीर तुझसे'- रिया ने कहा।
"बकवास मत कर, सही बता "- मैंने फिरसे कहा।
"वो सही कह रही हैं,मैं आपसे ही मिलने आया हूँ"
ये आवाज़ थी कबीर की, जो मेरे पीछे खड़ा था।
मैं चुप हो गई और बात को संभालते हुए कहा-
"नही मैं तो बस वो पू..........छ " मेरा इतना कहना हुआ भी नही था है कि रिया और कबीर बहुत जोर से हँसने लगे।
रिया ने मुझे बताया कि कबीर मुझसे प्ले के बारे मैं बात करने आया है।
"यार मैं कोई प्रोफेशनल तो हूँ नही , मैं नही कर पाउंगी"- मैंने कहा।
'पर आपकी कविताएं तो कहती है कि आप कर पायेगी'-कबीर ने जवाब दिया।
मैंने रिया की तरफ देखा, उसने मेरी डायरी कबीर को जो पढ़वा दी थी।
कबीर ने बहुत ही शराफत से कहा- "मान जाइये न, प्लीज... आप जैसे किसी की मुझे और मेरे प्ले को बहुत जरूरत है।"
न जाने क्या था उसकी इस बात मैं भी कि मैं उसे ना नही कह पायी और मैने हाँ में सिर हिला दिया।
"तो ठीक है, कल से 3 बजे मिलते है। आपका इंतजार रहेगा।"- इतना कहकर कबीर और अभय वहां से चले गए और मैं बस उसे देखती रही।।
शाम को उसने मुझसे कहा- 'काव्या, तू जो इतना सब शायरी सब लिखती है अगर तुझे कभी मौका मिले तो क्या तू इसे प्रोफेशनली करना चाहेगी?"
"क्यो नही,बिल्कुल"-मैंने झट से कहा।
"तो समझ हो गया ये"- रिया ने कहा।
रिया ने बताया कि कबीर को एक म्यूजिकल प्ले करना है जिसके लिए उसे एक 'शब्दो का जादूगर ' यानी एक राइटर चाहिए और रिया के हिसाब से में उसके लिए एकदम सही हूँ।।
" यार तू पागल है क्या , मैं तो बस ऐसे ही लिखती हूँ ऐसे किसी प्ले के लिए ....कैसे लिख सकती हूं???? मैं कोई लेखक या कवि थोड़े न हूँ।" ये कहकर मैंने उसे मना कर दिया।
मुझे लगा ये बात यही पर खत्म हो गयी है। अगले दिन जब में वापस आयी तो दरवाजा खोलने में रिया ने बहुत वक़्त लगाया।
जैसे ही दरवाजा खुला, मैं जोर से चिल्लाई-" कहाँ , व्यस्त थी मैडम आ..........प।।
मेरा ये आप कोई और ही आप बन गया क्योंकि दरवाजा खोलने वाला था..........कबीर।।
"सॉरी , मुझे लगा रिया है"- मैंने कहा।
"कोई बात नही,हो जाता है" - कबीर ने कहा।
अंदर आयी तो देखा कि रिया की बॉयफ्रेंड अभय भी था वहां।
रिया किचन में थी , मैं सीधे रिया के पास गई और पूछा-"ये लोग यहां क्या कर रहे है??"
'अभय मुझसे मिलने आया है और कबीर तुझसे'- रिया ने कहा।
"बकवास मत कर, सही बता "- मैंने फिरसे कहा।
"वो सही कह रही हैं,मैं आपसे ही मिलने आया हूँ"
ये आवाज़ थी कबीर की, जो मेरे पीछे खड़ा था।
मैं चुप हो गई और बात को संभालते हुए कहा-
"नही मैं तो बस वो पू..........छ " मेरा इतना कहना हुआ भी नही था है कि रिया और कबीर बहुत जोर से हँसने लगे।
रिया ने मुझे बताया कि कबीर मुझसे प्ले के बारे मैं बात करने आया है।
"यार मैं कोई प्रोफेशनल तो हूँ नही , मैं नही कर पाउंगी"- मैंने कहा।
'पर आपकी कविताएं तो कहती है कि आप कर पायेगी'-कबीर ने जवाब दिया।
मैंने रिया की तरफ देखा, उसने मेरी डायरी कबीर को जो पढ़वा दी थी।
कबीर ने बहुत ही शराफत से कहा- "मान जाइये न, प्लीज... आप जैसे किसी की मुझे और मेरे प्ले को बहुत जरूरत है।"
न जाने क्या था उसकी इस बात मैं भी कि मैं उसे ना नही कह पायी और मैने हाँ में सिर हिला दिया।
"तो ठीक है, कल से 3 बजे मिलते है। आपका इंतजार रहेगा।"- इतना कहकर कबीर और अभय वहां से चले गए और मैं बस उसे देखती रही।।