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Thursday 1 November 2018

Mujhe aane to diya hota...

November 01, 2018 0 Comments

Mere dil ko thoda ,
Bahla diya hota...
Khwahishaat ko thoda,
Sahma diya hota...
Janti hu ishq tere,
Bas m nahi tha...
Par dil tak mujhe aane to diya hota.....

Ishq mera khudgarz nahi tha,
Ishq mera bedard nahi tha,
Ishq mera pagal nahi tha,
Dil tera patthar hai humdam,
Is baat ka yakin mujhe, aane to diya hota...

Mera hona bhi, kya hona raha..
Tune suna hi nahi, jo maine kaha...
Bina paaye khone ka, dukh b saha..
Us khamosh dil ka rahguzar banke,
Guzar jaane to diya hota...

Muqammal ho ishq,
Ye ishq ki fitrat kahan..
Teri duaon m hu jau shamil,
Aisi kurbat hi kahan...
Tu rubaroo ho bas whi lamha,
Mere hisse aane to diya hota...

Sunday 1 April 2018

Sach phir badal jaana hai..

April 01, 2018 0 Comments

Kal ka sach,
Kal jhoot ban jaana hai,
Sach bhi mausam sa hai,
Kal phir badal jaana hai......


Aaj tmhare humraaz hai,
Kal raaz ban jayenge,
Aaj jo sath hai,
Kal yaad ban jayenge,
Waqt ke sath hume bhi,
Paani sa bah jaana hai,
Sach bhi mausam sa hai,
Kal phir badal jaana hai.....

Jo aaj ishq main,
Shaamein jiya karte hai,
Sath jeene -marne ke,
Vaadein kiya karte hai,
Un-vaadon ko ek din,
Be-wafa ban jaana hai,
Sach bhi mausam sa hai,
Kal phir badal jaana hai....

Ye yaari ,ye naate,
Jarurat ke dam par hai,
Kuch mazboot dhaage hi,
Sath gam tak hai,
Khoon ko hi khoon ka,
Dushman ban jaana hai,
Sach bhi mausam sa hai,
Kal phir badal jaana hai....

Wednesday 3 January 2018

Unki shahadat par... (A tribute to indian soldiers)

January 03, 2018 0 Comments

Wo Bhari jawani main,
Bandh kar kafan sir se,
Hm jee le aman m wo,
Karte sir alag dhad  se,
Unhe hoga khauf kiska,
roj maut se milte hai,
Unki shahadat par,
Gul registan main khilte h...
Wo maa bhi gazab maa hai,
Jo bete ko yu janti hai,
Jaan dede watan par khoon,
Josh aisa bharti hai,
Uske or bete ke dil,
Khato main hi milte hai,
Unki shahadat par,
Gul registan m khilte hai...
Wo dulhan jise milti,
Judai sang vidai main,
Wo dilruba jise milti,
Safedi muh dikhai main,
Aawam main kaha aise,
Kisse roj milte hai,
Unki shahadat par,
Gul registan main khilte hai...
Hoga jigar kaisa us ,
baap ka yaaro,
Eklaute ko jalakar,
Marta maut hazaro,
Bina kandhe samshan m,
Wo faqr se hi jalte hai,
Unki shahadat main,
Gul registan main khilte hai...
Rakhi ke din jab ,
Laakhon raakhiyan hai bikti,
Ek raakhi kahin par,
Hai kalai ko tarasti,
Ye saare rishte bhi ,
Shaheedon se hi dikhte hai,
Unki shahadat par,
Gul registan m khilte h....
Sareaam imaan ko,
Na Becha karo yaaro,
Apni sachchai ,
Tum bhi desh par waaro,
Desh ko bachane ko,
Sainik kafan -sang phirte hai,
Unki shahadat par,
Gul registaan main khilte h...




Tuesday 2 January 2018

"💝कबीर की काव्या💝"- part 4

January 02, 2018 0 Comments

                              Part -4
जिस दिन कबीर जाने वाला था, उस रात मैं बहुत रोई इतना कि मेरी आंखें सूजी हुए थी।
अगली सुबह जब मैं उठी तो रिया तो ये समझते देर न लगी कि मैं रात भर रोई हूँ। सुबह उठकर भी मैं कबीर की यादों में खोई हुई थी।
"तू क्यों है ऐसे लड़के के साथ जो तुझे रोने के बहाने देता है"-रिया ने कहा।
"मतलब ???"-रिया के अचानक सवाल ने मुझे कबीर की यादों से बाहर निकाल दिया।
"रोई , नही तो" -मेरे इस झूठ में मेरे हाथ भी साथ नही दे रहे थे।
"तू जानती है आज कबीर वापस जा रहा है??,तुझसे मिलना चाह रहा है तू चल रही ह न?"-रिया के अचानक एक औऱ दिल दुखाने वाले सवाल ने मेरी आँखों को नम कर दिया।
"काव्या तू रो क्यो रही है?
मुझे लगा तुझे उसके जाने से ज्यादा फर्क नही पड़ता,
कबीर बताता था तू उससे बात नही करना चाहती पर यार आज तो वो जा रहा है आज तो तू चल सकती है"- रिया की इस बात के बाद मैं खुद को रोक नही पायी और फ़ूट-फूट कर रोने लगी।
"देख, अब तू रो मत, तुम दोनो का समझ नही आता न तो वो कुछ पूछने देता है और अब तू क्यो रो रही है"-"मैं उसे जाते हुए नही देख सकती रिया"- रिया के सवाल पर ये मेरा जवाब था।
"पर क्यों...??"-रिया ने पूछा
"क्योकि मैं उससे प्यार करती हूं"-मैने रोते हुए जवाब दिया।
"पर तू तो कॉलेज में किसी से.....?"-रिया ने पलट कर फिर पूछा।
"नही वो सब झूठ था"-मेरा जवाब सुनकर रिया ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।
"तुम दोनों ही पागल हो,दोनो प्यार करते हो और दोनों की छिपाते हो, और वो पागल तुमसे दूर जा रहा है क्योंकि तुम्हें किसी और के साथ नही देख सकता।"-रिया ने हँसते हुए कहा।
"पर वो तो किसी और से प्यार करता है ना, वो तो मेरी कॉल का भी जवाब नही देता था"-मैंने अपनी आँखें दो इंच और बड़ी करके पूछा।
"अरे नही , वो उसकी पुरानी गर्लफ्रैंड यानी भाविका इसे परेशान कर रही थी जब इसने भाविका को ये कहा कि अब तुम उसकी जिंदगी हो तो पहले तो काफी कोशिश की उसके करीब आने की। बाद में वो थक कर चली गयी।"
उस वक़्त तुम उससे दूर हो रही होगी, और तभी अभय से कबीर को ये पता चला कि तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई और है तो कबीर ने यहां से जाने का फैसला किया ।"-रिया ने बात पूरी की।
"तो तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया"-मैंने गुस्से से रिया ने बोला।
"मैडम हमे भी कल ही पता चला है,तुम दोनों कहाँ कुछ बताते हो,अब जाओ और उससे बताओ सब"-रिया ने कहा ।
मैं और रिया तभी कबीर के रूम पर गए।
जैसे कि दरवाजा खुला तो सामने कबीर था।
"कहाँ जा रहे हो"-मैंने कबीर से पूछा।
"वापस जा रहा हूँ"-कबीर ने मायूस होकर जवाब दिया।
"अच्छा, और मैं कैसे रहूंगी ये सोचा एक बार भी?"-कबीर मेरी ये बात सुनकर दंग रह गया।
"देख क्या रहे हो, प्यार करती हूं तुमसे...अभी भी जाना है तो बताओ"- मेरी एक के बाद बात सुनकर कबीर को समझ नही आया कि क्या बोले।
"एक बार कह नही सकते थे प्यार करता हूँ"-मैंने फिर कहा।
" लो जी अब कह देता हूँ , प्यार करता हूँ तुमसे"-कबीर के ये बोलने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और देखते ही रह गए।
तभी रिया और अभय की उहू उहू ने हमे एक दूसरे की आँखों से बाहर निकाला।
"चलो कबीर चलते है अब , अब देर मत करो पहले ही बहुत देर हो गयी है"-अभय ने कहा।
"कहाँ....????" -मैंने और कबीर ने एक साथ कहा।
"प्यार का जश्न मानने और कहाँ?, तुमसे कहीं औऱ जाना था क्या?"- अभय की ये बात सुनकर हम चारो है दिए और कबीर और उसकी काव्या चल दिये प्रेम ग्रंथ लिखने।।।
     -:  The end:-

Monday 1 January 2018

"💝कबीर की काव्या💝"- part 3

January 01, 2018 0 Comments

                          Part-3
"नही, ये वाली लाइन प्ले में रखेंगे, नही ये वाली"
कुछ इस तरह से मेरी और कबीर की बहस हो रही थी। साथ साथ काम करते करते 15 दिन हो गए थे और सिर्फ 15 दिनों में हम दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे, इतने अच्छे कि एक दूसरे पर हक़ जताने लग गए थे।
  हम दोनों मिलते थे, बातें करते थे और अब तो हम दोनों घूमने भी लगे थे साथ साथ। मुझे उसके साथ वक़्त बिताना पसंद था और शायद ये इसलिए भी था क्योंकि मैं उसे पसंद करती थी ।
"तुम न मुझे सबसे अच्छे से समझती हो, तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो"- एक दिन बिना कहे कबीर की उदासी जान लेने पर कबीर ने मुझे ये ओहदा दिया।
धीरे धीरे हमारी दोस्ती और गहरी हो रही थी या फिर ये कह की कबीर के लिए हमारी दोस्ती और मेरे लिए हमारा प्यार। रात रात भर बाते करना, साथ साथ में घूमना, ये सब करते करते कब 2 महीने बीत गए पता ही नही चला।
कभी कभी मैं कबीर से ये भी पूछा करती थी कि क्या उसकी जिंदगी में कोई लड़की है और इस बात को कबीर बहुत खूबसूरती से ये कहकर टाल दिया करता था -"कोई होती तो दिखती नही क्या"??
    इस बीच कबीर का प्ले भी हो गया था और वो बहुत अच्छा भी रहा।
एक दिन मैं ,रिया, अभय औऱ कबीर साथ में खाना खा रहे थे तभी कबीर के पास किसी का फ़ोन आया और उसने काट दिया उसके बाद फिर फ़ोन आया और उसने फ़ोन बंद कर दिया। उस फ़ोन के आने के बाद कबीर उदास सा हो गया।
   जब हम जाने लगे तो मैंने कबीर से पूछा कि जबसे फ़ोन आया है वो उदास है आखिर किसका फ़ोन है?
"एक ऐसी लडक़ी का जिससे मैने बहुत प्यार किया और शायद आज भी करता हूँ,इससे ज्यादा मैं शायद कुछ और न बोल पाऊँ।"-कबीर ने कहा और इतना कहकर चला गया।
उस दिन मैं पूरी रात सो नही पायी क्योकि प्यार की खूबसूरती दिख रही थी पर आज तकलीफ का अहसास हो रहा था। आप जिसे चाहे अगर वो किसी और को चाहे तो शायद ही इससे ज्यादा बेबसी की कोई और हालत होती होंगी।
अगले दिन रिया ने भी वही बात छेड़ दी, 'तू जानती है काव्या, कबीर एक लड़की से बहुत करता है आज से 1 साल पहले वो उसे छोड़कर किसी को साथ चली गयी थी और अब वो वापस आना चाहती है"
"तो क्या कबीर यही चाहता है??"-मैंने किसी तरह अपनी भावनाओं को छिपाते हुए पूछा।
"हां, क्यो नही ? जब आप किसी से प्यार करते है तो आप उसे माफ कर ही देते है। वो भी कर देगा।"-रिया ने कहा।
अगले दिन सुबह मैंने कबीर को कॉल किया तो उसके फ़ोन बिजी जा रहा था।  बाद में उसने बताया कि उसकी पुरानी गर्लफ्रैंड 'भाविका' का फ़ोन था।
आने वाले एक हफ्ते तक मेरे फ़ोन का वेटिंग में होने का सिलसिला रहा तो मैंने उससे बात करनी कम करदी।
वो अगर कॉल करता तो मैं कोई बहाना बनाकर फोन रख दिया करती।
एक दिन पता चला वो लड़की उससे मिलने आयी है।
उस रात मैं बहुत रोई, इतना ही रिया को भी पता चल गया। उसने बहुत पूछा तो मैंने बताया कि कॉलेज में मैं किसी को पसंद करती हूं और को किसी और को।
भाविका से मिलने के बाद से कबीर ने भी मुझसे बात करना , मिलना लगभग खत्म कर दिया था।
अक्सर रिया मुझसे मेरे कॉलेज के प्यार के बारे पूछा करती और मैं कहती अब सब ठीक है वो और मैं साथ है अब....तम्हे जल्दी ही उससे मिलवा भी दूंगी।
1 महीने बाद कबीर का मुझे मेसेज आया ,"काव्या, तुमसे बहुत कुछ कहना था पर कह नही पाया,
पता नही हमारी दोस्ती कैसे खत्म सी हो गयी।
कल मैं वापस अपने शहर जा रहा हूँ। रुकना तो चाहता हूं पर वजह नही है, उम्मीद करता हूँ तुम स्टेशन मुझसे मिलने जरूर आओगी।
अपना ख्याल रखना।"
  - कबीर
मैंने सोचा- "चाहे जो हो जाये मैं नही जाऊंगी इससे मिलने। एक लड़की के आ जाने से मुझे भूला दिया। हुह!!!!"